पास प्रतिशत – समझें इसका मतलब और क्यों ज़रूरी है
जब हम पास प्रतिशत, किसी परीक्षा या शैक्षणिक सत्र में कुल उम्मीदवारों में से सफल रह गये विद्यार्थियों का प्रतिशत की बात करते हैं, तो यह सिर्फ एक आँकड़ा नहीं रहता, बल्कि पूरे शिक्षण सिस्टम की दिशा दिखाता है। अगर आप पहली बार इस शब्द को सुन रहे हैं, तो यही सबसे आसान परिभाषा है—जितने छात्र परीक्षा लिखते हैं, उनमें से कितने प्रतिशत पास होते हैं, वह पास प्रतिशत कहलाता है। यह आँकड़ा स्कूल, कॉलेज या बोर्ड स्तर पर रिपोर्ट कार्ड में दिखता है और अक्सर नीति‑निर्माता और अभिभावक दोनों इसे देख कर अगले कदम तय करते हैं।
एक और महत्वपूर्ण इकाई परीक्षा, वह प्रक्रिया जहाँ छात्र अपने ज्ञान और कौशल को परखते हैं है। परीक्षा का स्वरूप चाहे बोर्ड, विश्वविद्यालय या प्रतिस्पर्धी एग्रीमेंट के साथ हो, पास प्रतिशत सीधे उस परीक्षा की कठोरता और मानक से जुड़ा होता है। यदि वही परीक्षा में पिछले साल के पास प्रतिशत से बहुत गिरावट आती है, तो यह संकेत देता है कि प्रश्नपत्र कठिन हो गया है या छात्रों की तैयारी में कमी आई है।
इस संबंध को और स्पष्ट करने के लिए उत्तीर्णता दर, परीक्षा में सफल उम्मीदवारों का अनुपात को देखें। उत्तीर्णता दर को अक्सर शिक्षा मंत्रालय द्वारा निर्धारित न्यूनतम मानक निर्धारित करता है, जैसे कि 40 % या 50 % का कट‑ऑफ। जब उत्तीर्णता दर बढ़ती है, तो आमतौर पर पास प्रतिशत भी साथ साथ ऊपर जाता है; यह दो‑तरफ़ा संबंध है—एक दूसरे को प्रभावित करता है।
वहीं शिक्षा मंत्रालय, देश के शैक्षणिक नीतियों का प्रमुख नियामक body कई बार पास प्रतिशत को सुधारने के लिए नई नीतियां बनाता है। नई पाठ्यक्रम, मूल्यांकन पैटर्न या छात्र सहायता कार्यक्रम सभी का लक्ष्य पास प्रतिशत को बढ़ाना है, ताकि अधिक छात्रों को बेहतर भविष्य मिल सके। इस तरह पास प्रतिशत, परीक्षा, उत्तीर्णता दर और शिक्षा मंत्रालय के बीच एक जाल बना रहता है—एक का बदलाव दूसरों को सीधा असर देता है।
अगर हम इस जाल को एक वाक्य में सारांशित करें तो कह सकते हैं: "पास प्रतिशत शिक्षा प्रणाली की स्वास्थ्य रपट है, जो परीक्षा के कठोरता, उत्तीर्णता दर के मानक और शिक्षा मंत्रालय की नीतियों से घनिष्ठ रूप से जुड़ा है।" यह वाक्य तीन प्रमुख सैंट्रिक त्रिप्लेट बनाता है—पहला त्रिप्लेट पास प्रतिशत‑शामिल‑उत्तीर्णता दर, दूसरा पास प्रतिशत‑निर्धारित‑शिक्षा मंत्रालय, तीसरा परीक्षा‑प्रभावित‑उत्तीर्णता दर। इन रिश्तों को समझकर ही हम छात्रों, अभिभावकों या नीति‑निर्माताओं के रूप में सही निर्णय ले सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस टैग पेज पर कौन‑से लेख मिलेंगे। नीचे कुछ आलेख हैं जो गंगा जलस्तर में कमी से लेकर उत्तराधिकार के कानूनी पहलुओं तक, विभिन्न क्षेत्रों में "पर्ची‑कार्य" की तरह दिखते हैं। लेकिन जब बात पास प्रतिशत की आती है, तो यहाँ आपको शिक्षा‑सेक्टर से जुड़े रिपोर्ट, परीक्षा‑नतीजे के विश्लेषण और नीति‑परिवर्तन के असर वाली कहानियां मिलेंगी। आप पढ़ेंगे कि कैसे जल संकट या कानूनी फैसले भी अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों के पास प्रतिशत को प्रभावित कर सकते हैं, और कौन‑से कदम उठाकर इसे बेहतर बनाया जा सकता है। आगे की सूची में ऐसे कई लेख हैं जो इस विषय को कई पहलुओं से उजागर करेंगे—तो चलिए, इन कहानियों में डुबकी लगाते हैं और समझते हैं कि आपका या आपके जानने वाले का पास प्रतिशत किस तरह बदल सकता है।
CBSE परिणाम 2025 जारी: 44 लाख छात्रों में 93.60% (क्लास 10) और 87.98% (क्लास 12) पास
CBSE ने 13 मई 2025 को 44 लाख छात्रों के परिणाम जारी किए, क्लास 10 में 93.60% और क्लास 12 में 87.98% पास प्रतिशत, DigiLocker के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से उपलब्ध।