डर – क्यों है, कैसे हटाए

डर कोई नया महसूस नहीं है, हर जगह इसका असर मिलता है। चाहे वो राजनीति की खबरों में हो, नई तकनीक के सामने हो या फिर कोई व्यक्तिगत decision हो – डर साथ रहता है। लेकिन डर को समझें तो इसे जीतना आसान हो जाता है।

डर के आम कारण

बहुत से लोग डर को अंधेरे में छिपे ख़तरे से जोड़ते हैं। असल में, हमारा दिमाग बचाव के लिए जल्दी से खतरा पहचानता है। ये ज़्यादातर दो चीज़ों से आता है – अजनबी चीज़ों से अनजान होना और पिछले नकारात्मक अनुभवों की याद। उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रिक कारों की नई टेक्नोलॉजी देख कर लोग आश्चर्य और थोड़ा डर महसूस कर सकते हैं, जैसे Mahindra XEV 9e की रेंज या चार्जिंग टाइम।

इसी तरह, सोशल मीडिया पर लगातार राजनीतिक बहस या मोदी के फैसलों को लेकर उठते सवाल भी डर बढ़ा देते हैं। जब हम नहीं जान पाते कि भविष्य में क्या होगा, तो दिमाग "क्या अगर" की पहेली बना लेता है।

डर से निपटने के practical टिप्स

1. जानकारी जुटाएँ – डर अक्सर अज्ञानता से पनपता है। अगर आप नई तकनीक या किसी कानूनी बदलाव, जैसे हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005, के बारे में पढ़ते हैं तो अनावश्यक चिंता कम होती है।

2. छोटे‑छोटे कदम रखें – हार्डवेयर खरीदने या नई नौकरी शुरू करने से पहले छोटे‑छोटे रिसर्च या टेस्ट करें। उदाहरण के लिए, Redmi फोन खरीदने से पहले उसकी बैटरी और कैमरा को देख लें।

3. डर को लिखें – जो बात आपको डराती है, उसे कागज़ पर उतार दें। इससे दिमाग को समझ आता है कि यह सिर्फ एक सोच है, वास्तविक खतरा नहीं।

4. सकारात्मक इंसोलूशन – अपने आप से कहें, "मैंने पहले भी कठिनाई पार की है"। भारतीय लोगों की जापान के बारे में धारणा में कुछ डर (जैसे रोबोट) है, पर वही सोच हमें नई चीज़ों को अपनाने की प्रेरणा भी देती है।

5. समय दें – डर तुरंत नहीं जाता, पर समय के साथ अगर आप उस चीज़ को बार‑बार एक्सपोज़ होते रहे, तो डर कम होता है। जैसे कि अगर आप अमेरिका या भारत में रहने के बारे में सोच रहे हैं, तो दोनों की लाइफ़स्टाइल को धीरे‑धीरे तुलना करके देखें।

डर को समझना और इससे लड़ना एक अभ्यास है। हर बार जब आप किसी नई चीज़ को आज़माते हैं, तो थोड़ी‑सी झिझक तो होगी ही, पर वही आपको आगे बढ़ाएगी। तो अगली बार जब आपको कोई डर लगे, तो ऊपर बताए गए स्टेप्स अपनाएँ और देखें कि डर कैसे घटता है।

भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?

भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?

मेरे ब्लॉग "भारतीय पुरुषों को क्या डराता है?" में मैंने भारतीय समाज में पुरुषों के डर और चिंताओं का विश्लेषण किया है। इसमें मैंने चर्चा की है कि पुरुष सोचते हैं कि उन्हें अपनी भावनाओं को छुपाना चाहिए, यही वजह है कि उन्हें अस्थायी आत्मविश्वास की समस्या होती है। मैंने यह भी उजागर किया है कि समाज के दबाव और अपेक्षाओं से निपटने में उन्हें कितनी कठिनाई होती है। इसके अलावा, मैंने उनकी आर्थिक और पेशेवर स्थिति से जुड़े डर का भी उल्लेख किया है।