CBSE – बोर्ड परीक्षा और शिक्षा का केंद्र

जब बात CBSE, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, भारत में सरकारी एवं निजी स्कूलों में मान्य पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम निर्धारित करता है की आती है, तो हर छात्र और शिक्षक इसका ज़िक्र सुनते हैं। यह बोर्ड 1952 में स्थापित हुआ और अब 30,000 से अधिक स्कूलों को संभालता है। CBSE न केवल परीक्षाओं को आयोजित करता है, बल्कि शैक्षणिक नीति में दिशा‑निर्देश भी देता है।

CBSE के प्रमुख पहलू

CBSE का सिलेबस, वर्ष भर के अध्ययन हेतु निर्धारित विषय‑वस्तु और पाठ्यपुस्तकों का समूह छात्रों के भविष्य को आकार देता है। सिलेबस में विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा सहित कई विषय शामिल हैं, जो NENE​T, JEE जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के साथ तालमेल रखता है। वहीं बोर्ड परीक्षा, छठी, नौवीं और बारहवीं कक्षा में आयोजित मानकीकृत परीक्षण हर साल मई‑जून में होती है, जिससे विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति का मापन किया जाता है। यह परीक्षा परिणाम के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रवेश और नौकरी के अवसरों पर सीधा असर डालती है।

CBSE के तहत कार्य करने वाले स्कूल, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के शिक्षा संस्थान जो बोर्ड की नीतियों का पालन करते हैं को नियमित निरीक्षण और शिक्षकों के प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है। डिजिटल लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन मूल्यांकन और शिक्षक विकास कार्यशालाएँ अब सामान्य हो गई हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले वर्ष पानी की कमी से प्रभावित क्षेत्रों में जल संरक्षण पर विशेष अध्याय जोड़कर पर्यावरण शिक्षा को सिलेबस में सम्मिलित किया गया, जो हापूर के जलस्तर से जुड़ी रिपोर्ट में दिखता है। इस तरह CBSE वास्तविक समय की समस्याओं को पाठ्यक्रम में शामिल करके छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है।

हाल के वर्षों में CBSE ने कई सुधार लागू किए हैं: निरंतर और समग्र मूल्यांकन (CCE) ने अंक‑संघटित परीक्षण को कम करके कौशल‑आधारित प्रगति पर ज़ोर दिया; कोविड‑19 के दौरान ऑनलाइन परिणाम और डिजिटल परीक्षाएं तेज़ी से अपनाई गईं; और 2024 की समीक्षा में कोर्स सामग्री को अपडेट करके विज्ञान‑प्रौद्योगिकी के नए आयाम जोड़े गए। इन बदलावों के कारण शिक्षक‑छात्र संबंध अधिक इंटरैक्टिव हुआ है और अभिभावक भी परिणामों को रियल‑टाइम में ट्रैक कर सकते हैं। परिणामस्वरूप, छात्रों की तैयारी मात्र रिवीजन तक सीमित नहीं रह गई, बल्कि प्रोजेक्ट‑आधारित सीखने और अंतर‑विषयक सहयोग तक विस्तृत हो गई है।

इन सभी बिंदुओं को देखते हुए, इस पेज पर आप CBSE से जुड़े विविध लेखों की एक संग्रह देखेंगे – जल संकट से लेकर शैक्षिक सुधार तक, बोर्ड की नई नीतियों और उनके वास्तविक प्रभावों पर विस्तृत विश्लेषण पाएँगे। आगे पढ़ें और जानें कि कैसे CBSE के निर्णय आपके स्कूल और पढ़ाई को प्रभावित करते हैं।

CBSE परिणाम 2025 जारी: 44 लाख छात्रों में 93.60% (क्लास 10) और 87.98% (क्लास 12) पास
रामेश्वर गुप्ता 0 7 अक्तूबर 2025

CBSE परिणाम 2025 जारी: 44 लाख छात्रों में 93.60% (क्लास 10) और 87.98% (क्लास 12) पास

CBSE ने 13 मई 2025 को 44 लाख छात्रों के परिणाम जारी किए, क्लास 10 में 93.60% और क्लास 12 में 87.98% पास प्रतिशत, DigiLocker के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से उपलब्ध।