भविष्य: क्या हो रहा है और क्या आने वाला है?
आज हम बात करेंगे उन चीज़ों की जो नज़दीकी भविष्य में हमारी जिंदगी को बदल सकती हैं। चाहे वो इलेक्ट्रिक कारें हों, कानून में नए फैसले या समाज के सोच में बदलाव—इन सबका असर हम सबको पड़ेगा। तो चलिए, बिना ज़्यादा सोचे-समझे, सीधे मुद्दे पर आते हैं।
तकनीक और इलेक्ट्रिक वाहन
इलेक्ट्रिक कारों की दुनिया में अभी एक बड़ी छलांग लग रही है। महिंद्रा ने XEV 9e और BE 6e के साथ भारतीय बाजार में नई रेंज पेश की है। इन गाड़ियों में 59 kWh से 79 kWh तक की LFP बैटरी लगाई गई है, जिससे 650 किमी तक की रेंज मिलती है। चार्जिंग भी तेज़ है—20 मिनट में 20 % से 80 % तक पहुँचा जा सकता है। अगर आप कार के अंदर बैठते ही तीन 12.3‑इंच स्क्रीन, OTA अपडेट और लेवल 2 ADAS जैसी सुविधाएँ देखना चाहते हैं, तो ये मॉडल काफी दिलचस्प हैं। कंपनी ने इन गाड़ियों को 2025 में Bharat NCAP की 5‑स्टार रेटिंग भी दिलवाई है, जो सुरक्षा के लिहाज़ से भरोसा देता है।
इसी तरह, भारत में इलेक्ट्रिक दोपहिया और स्कूटर भी तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं। बजट मॉडल में 40 किमी से 120 किमी तक की दूरी तय कर सकते हैं, और सरकार की सब्सिडी से कीमत भी कम हो रही है। इसका मतलब यह है कि अगले पाँच साल में सड़कों पर ई‑वाहन की गिनती दोगुनी या तिगुनी होने की संभावना है।
क़ानूनी और सामाजिक परिवर्तन
क़ानून की बात करें तो 2005 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम बहुत चर्चा में रहा। इसने बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में बराबर अधिकार दिया। सुप्रीम कोर्ट के Vineeta Sharma फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया कि पिता के जीवित या मृत होने से फर्क नहीं पड़ता, जब तक वैध बंटवारा न हो। अब बेटियों को जमीन, हाउसिंग यूनिट फ़रम या HUF में अपने हिस्से के लिए कानूनी सुरक्षा मिली है।
साथ ही, वैध वसीयत या आत्म‑अर्जित संपत्ति में बदलाव की प्रक्रिया भी आसान हुई है। पुराने नियम अभी भी प्री‑1956 मामलों पर लागू होते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के लिए यह बदलाव काफी मददगार है। इन बदलावों से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता में बड़ा इज़ाफ़ा होगा, और परिवारों में संपत्ति बाँटने के विवाद भी कम होंगे।
समाज की सोच भी धीरे‑धीरे बदल रही है। हाल ही में एक सर्वे में पाया गया कि भारतीय लोग जापान की तकनीक और संस्कृति को बहुत सराहते हैं, जबकि रोबोट के प्रति थोड़ा डर भी महसूस करते हैं। इस तरह की धारणाएँ दिखाती हैं कि लोग नई चीज़ों को अपनाने में उत्सुक हैं, पर साथ ही सांस्कृतिक अंतर को भी समझते हैं।
भविष्य की ये तस्वीर हमें दिखाती है कि तकनीक, कानून और सामाजिक सोच एक साथ मिलकर हमारे रोज़मर्रा के जीवन को आकार दे रहे हैं। अगर आप इन बदलावों के साथ तालमेल बिठाना चाहते हैं, तो नई तकनीकों को अपनाएँ, अपने अधिकारों के बारे में जानें और खुले मन से नई विचारधाराओं को स्वीकारें। यही तरीका है आगे बढ़ने का।

भविष्य में, भारत या अमेरिका में रहना बेहतर होगा?
भारत और अमेरिका दोनों एक अलग-अलग राष्ट्र हैं जिसमें अलग-अलग तरह के सामाजिक और आर्थिक सिद्धांत हैं। भारत में समाजिक समृद्धि और अमेरिका में आर्थिक समृद्धि है। अमेरिका में निर्धारित नीति और सहयोग की व्यवस्था है जबकि भारत में लोगों को अपनी कुशलता पर भरोसा है। अतः भारत में रहना बेहतर होगा जो लोगों को व्यक्तिगत विकास और आर्थिक समृद्धि के अनुसार कदम उठाने की शक्ति देगा।