हापूर में गंगा का जलस्तर 1.5 महीनों में सबसे नीचा, राहत के उपाय शुरू

हापूर में गंगा का जलस्तर 1.5 महीनों में सबसे नीचा, राहत के उपाय शुरू
रामेश्वर गुप्ता 23 सितंबर 2025 0 टिप्पणि

हापूर में गंगा के जलस्तर का गिरावट और सरकार की प्रतिक्रिया

पिछले डेढ़ महीने में उत्तर प्रदेश के हापूर जिले में गंगा नदी का जलस्तर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। जलवायु विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर को मापी गई औसत गहरी 1.7 मीटर थी, जबकि दो महीने पहले यह 4.2 मीटर थी। इस अचानक गिरावट ने जल संकट को जन्म दिया, जिससे न तो खेती को पर्याप्त पानी मिल रहा है और न ही शहर के घरेलू उपयोग में स्थिरता बनी है।

हापूर जल बोर्ड ने कहा कि इस गिरावट के पीछे दो मुख्य कारण हैं: लगातार कम बारिश और उपर के भागों—विशेषकर वाराणसी और कन्नौज—में जल निकासी के लिए बांधों का अधिकतम उपयोग। इन कारणों से डाउनस्ट्रीम में गंगा का प्रवाह काफी घट गया, जिससे हापूर में जलस्तर घटा।

सरकार ने इस स्थिति को देखते हुए कई राहत उपायों की घोषणा की:

  • आगामी 15 दिनों में 10 टन क्षमता वाले 5 मोबाइल टैंकर स्थापित किए जाएंगे, ताकि आपातकालीन जल आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
  • कृषि जल की कमी को पूरा करने के लिए नहरों की साफ़-सफ़ाई और अवरुद्ध हिस्सों को खोलने का कार्य तेज़ किया गया है।
  • ग्राम पंचायतों को जल बचत के लिए सूक्ष्म जल संचयन तकनीक यानी टंजिया, तालाब और बरगद के पिएविच (rainwater harvesting) स्थापित करने की अनुमति दी गई है।
  • स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी जारी की कि कम पानी के कारण स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ सकती हैं, इसलिए साफ़ पेय जल के स्रोतों को प्राथमिकता दी जाएगी।

किसानों ने बताया कि इस गर्मी में गन्ने और धान की फसल में जल की कमी से फ़सल के पैदावार में घटावट की आशंका है। बड़का गांव के किसान राकेश सिंह ने कहा, "पिछले वर्ष की तुलना में इस साल रबी की बड़ाई कम हो रही है, क्योंकि गंगा के जलस्तर में इतना गिरावट आया है।" उन्होंने उल्लेख किया कि सरकारी टैंकर से मिलने वाला जल महंगा है और लंबे समय तक भरोसा नहीं किया जा सकता।

स्थानीय उद्योगों पर भी असर महसूस किया गया है। हापूर में स्थित एक छोटा सीमेंट प्लांट के प्रबंधक ने बताया कि जल स्तर घटने से प्लांट के कूलिंग सिस्टम का संचालन मुश्किल हो गया है, जिससे उत्पादन में देरी हो रही है। उन्होंने जल पुनर्चक्रण प्रणाली को तेज़ करने की मांग उठाई।

वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा के जलस्तर में निरंतर गिरावट एक संकेत है कि जल संसाधन प्रबंधन में सुधार की जरूरत है। डॉ. नितिन सिंग, जल विज्ञान विभाग के प्रमुख, ने कहा, "गंगा के बहाव को नियंत्रित करने वाले बाढ़ निय контроль बांधों की सही समय पर रिलीज़ जरूरी है, ताकि डाउनस्ट्रीम में न्यूनतम स्तर पर न पहुँचा जाए।" उन्होंने वैकल्पिक जल स्रोतों जैसे कि भूजल पुनरुज्जीवन और जल-शक्ति प्रयोगशालाओं की सिफारिश की।

राज्य सरकार की मुख्य जल मंत्री ने एक सार्वजनिक सभा में कहा, "हापूर में गंगा का जलस्तर गिरना असहनीय है, लेकिन हम त्वरित और स्थायी उपायों के साथ इस संकट से बाहर निकलेंगे।" उन्होंने बताया कि अगले महीने में एक विस्तृत जल योजना तैयार की जाएगी, जिसमें जलाशयों की मरम्मत, अतिरिक्त टैंक बाढ़ को रोकना और जलराशि को संतुलित करने के लिए नई पाइपलाइन स्थापित करना शामिल है।

स्थानीय जनता का मानना है कि सरकारी कदम पर्याप्त हैं, पर उनका कार्यान्वयन तेज़ होना चाहिए। कई लोग सामाजिक मीडिया पर जल संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए पोस्ट कर रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस मुद्दे को समझ सकें और योगदान दे सकें।